ये है भारत का ‘सबसे अमीर’ गांव, जहां आज हर कोई अपना आशियाना चाहता है..

ये है भारत का ‘सबसे अमीर’ गांव, जहां आज हर कोई अपना आशियाना चाहता है..

आमतौर पर गांव का नाम सुनते ही आपके दिमाग में क्या चित्र बनता है? खेत, कच्चे घर, हरियाली या फिर वहां होने वाली दिक्कतें जैसे बिजली और पानी की कमी। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक गांव ऐसा भी है, जो न सिर्फ इन सभी परेशानियों से परे है, बल्कि यह इंडिया का सबसे ‘अमीर गांव’ कहलाता है।

यह गांव महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में बसा है, जिसका नाम है ‘हिवरे बाजार गांव।’ जहां लोगों ने न सिर्फ खेती को मुख्य पेशे के रूप में अपनाया है, बल्कि इसके साथ आधुनिक तकनीकों को जोड़ गांव को एक नई छवि दी है। इस गांव में वह सभी सुविधाएं है जो किसी भी शहर को परिपूर्ण बनाने के लिए चाहिए होती हैं।

हिवरे बाजार एक ‘मॉडर्न विलेज’ का उचित उदाहरण है। यहां की मुख्य सुविधाओं की बात करें तो पक्की सड़क, घरों में पानी की सुविधा, बिजली, स्कूल और अस्पताल जैसी सभी सुविधाएं आपको मिल जाएंगी। यहां के लोगों को पंचायत द्वारा सारी जरुरी चीजों और नई तकनीकों को अपनाने के बारे में बताया जाता है।

गांव में पानी की पूर्ति के लिए अनेक जल संरक्षण की नीतियां लागू की गई हैं, जिससे गांव के घरों में पानी पहुंचाने के साथ टैंकरों से पास के गांवों में भी पानी भेजा जाता है। जो गांव की आमदनी का ही एक अंग है। खेती के अलावा गांव का डेयरी व्यवसाय भी काफी विकसित है।

वातावरण की बात करें तो गांव के लोगों ने तीन लाख से अधिक वृक्षों के लिए पौधारोपण किया है। जिसका अंदाजा गांव की हरियाली को देख के लगाया जा सकता है। सफाई की बात करें तो गांव में घर से लेकर बाजार तक आपको कहीं पर भी गंदगी दिखाई नहीं देगी। हर घर में शौचालय की व्यवस्था है और यहां की ग्राम पंचायत ने तो ये तक कहा है कि ‘एक मच्छर लाओ, सौ रुपए ले जाओ’।

डवलपमेंट की बात करें तो यहां प्राथमिक पाठशाला से लेकर हाई स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। बच्चों को अभी से ही सजग बनाने के लिए उनके बैंक अकाउंट भी खुलवाए गए हैं। स्वास्थ्य की बात करें तो गांव के अस्पताल में सभी तरह के जरूरी आधुनिक उपकरण भी मौजूद हैं।

ये है बदलाव के पीछे की कहानी..

हिवरे बाजार गांव पहले इतना विकसित नहीं था, करीब तीन दशक पहले इसकी हालत इतनी खराब थी कि गांव के ज्यादातर लोग इसको छोड़ बाहर जाने को मजबूर हो गए थे। सूखा, गरीबी, न स्वास्थ्य की सुविधा थी। साथ ही लोग शराब और तनाव से ग्रस्त होते जा रहे थे। इससे आमदनी न के बराबर होने के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ रही थी। इससे राहत पाने के लिए पोपटराव पवार को गांव का सरपंच बनाया गया। जिन्होंने इस गांव की काया पलट दी।

पोपटराव ने सबसे पहले गांव में शराब और तंबाकू के सेवन पर पाबंदी लगाने के साथ सभी शराब के ठेकों को बंद करवाया। गांव में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पवार ने लोन लेकर रेनवाटर हार्वेस्टिंग, जल संरक्षण आदि से पानी को बचाने के लिए प्रबंधन किए। साथ ही ग्रामीणों और सरकार की सहायता से कई जल निकाय, मिट्टी के बांध, पत्थर के बांध, चेक डैम आदि का निर्माण करवाया।

जिसके परिणाम स्वरूप आज गांव में खेती और घरों में पीने का भरपूर पानी उपलब्ध है। साथ ही उन्होंने गांव की पंचायत को इतना सक्रिय बनाया जो न सिर्फ नए तकनीक को अपनाती है, बल्कि सभी ग्रामीणों के सुझाव लेकर ही उन्हें लागू करती है। आमदनी की बात करें तो यहां के ज्यादातर लोग लखपति की श्रेणी में आते हैं।

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