जादूगर की फिरकी में फिर फंस गई भाजपा, धरी रह गई जोड़ तोड़ की राजनीति

जादूगर की फिरकी में फिर फंस गई भाजपा, धरी रह गई जोड़ तोड़ की राजनीति

राजस्थान में इन दिनों सियासी उठापटक का दौर जारी ही ​हुआ था कि राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐसी फिरकी मारी कि बीजेपी कुछ समझ ही नहीं पाई। ऐसे में गठजोड़ की राजनीति में ​माहिर बीजेपी अब चौतरफा फंसती नजर आ रही है। दरअसल हुआ यूं कि राजस्थान में 10 जून को गृह विभाग की ओर से राजस्थान की सीमाएं सील करने का आदेश जारी किया गया था। लेकिन इस आदेश के मायने देखे जाएं तो असल में कहानी कुछ और ही निकलकर आती है। जिसका कोरोना से दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं है।

मैदान छोड़ने की अटकलें तेज :

कांग्रेस सरकार की बाड़ेबंदी में सेंधमारी करना अब विपक्षी पार्टियों के लिए कठिन काम हो गया है। ऐसे में बीजेपी से एक प्रत्याशी की हार तय मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि चुनाव से पहले ही ओंकार सिंह लखावत चुनाव की रेस ही बाहर हो सकते हैं।

यहां से शरू हुआ घटनाक्रम :

राजस्थान में जैसे ही मौजूदा सरकार को राज्यसभा चुनावों से पहले विधायकों के खरीद फरोख्त की सूचना मिली। तुरंत प्रदेश के मुखिया ने एक आपातकालीन बैठक अपने मंत्री एवं विधायकों की बुला डाली। जिसमें करीब 100 से ज्यादा विधायक-मंत्री पहुंच गए। मुख्यमंत्री ने इनके साथ चर्चा की और इन्हें यहां से सीधे ही एक होटल के लिए भेज दिया गया। एक एक कर मुख्यमंत्री आवास से 3 बसें होटल के लिए रवाना की गईं। उधर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने पुलिस को एक चिट्ठी के माध्यम से इस खरीद फरोख्त की जुगत में लगे लोगों की जांच की मांग की।

कोरोना तो एक बहाना था :

विधायकों से बात करने के बाद ही एक आदेश गृह सचिव की ओर से जारी किए गए और बाद में पुलिस की ओर से भी एक आदेश निकाले गए कि राज्य की सीमाओं पर अंतर्राज्यीय सीमाओं को नियंत्रित करने के लिए तुरंत प्रभाव से चैक पोस्ट को तैनात किया जाए। हालांकि इसके पीछे का तर्क कोरोना के केसेज को नियंत्रित करने का था। मगर हकीकत ये थी कि दूसरे दल के लोग राज्यसभा चुनावों में किसी प्रकार की घुसपैठ न कर सकें। कौन बाहर से आया और कौन गया इस सब की निगरानी सरकार आसानी से रख सकती है। इस तरह की कानाफूसी लोग सियासी गलियारों में करते हुए देखे जा रहे हैं।

कोरोना का तर्क इसलिए जायज नहीं :

सरकार ने आदेश में कोरोना नियंत्रण की बात कही है। लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों से ज्यादा कोरोना के मरीज प्रदेश के अंदर ही मिल रहे हैं। राजस्थान में 3 जिले हैं जहां सबसे ज्यादा माइग्रेंट कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ये जिले हैं पाली, नागौर और डूंगरपुर। जबकि रोजाना की बात करें तो जयपुर, जोधपुर, भरतपुर और अलवर जैसे जिलों से एक ही दिन में 50 से ज्यादा मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है।

जब विधानसभा में दी पटखनी :

गहलोत ने इससे पहले विधानसभा में भी बीजेपी को पटखनी देते हुए सरकार बना डाली थी। उस समय भी भाजपा कांग्रेस के भीतर की अंतर्कलह का फायदा उठाना चाहती थी, लेकिन कामयाब नहीं हो सकी थी। बीजेपी के इस तोड़ में गहलोत ने अपने ही कुछ नजदीकियों को निर्दलीय मैदान में उतारने का फैसला किया था। इनमें से ज्यादातर बाद में कांग्रेस में आकर मिल गए।

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